दोहे : राघव
राघव मनहर रूप है, प्यारे हैं सरकार ।
सोहे टीका भाल पर , उर सजते हैं हार ।।
पीत वसन में भा रहे , कौशल्या के लाल ।
मंद मंद मुस्का रहे , मोह रहे हैं गाल ।।
अवध नगरिया धन्य है , पाकर अपने राम ।
घर घर बजे बधाइयाँ, अब सुबह और शाम ।।
बालक राघव लाडले , विराजे अवध धाम ।
प्रजा- भूप सब संग में , जपते उनका नाम ।।
दशरथ नंदन साँवरे , बड़ा सलोना रूप ।
मोहित सब नर नारि हैं, मंत्र मुग्ध हैं भूप ।।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल