दोहे रमेश के नव वर्ष पर (2018)
आने को मुस्तैद है ,…. … नया नवेला वर्ष !
दिल में सबके प्यार का, दिखे उमड़ता हर्ष !!
दो हजार सत्रह चला, खेल कई नव खेल !
हुए बरी कुछ लोग तो, गए भ्रष्ट कुछ जेल !!
दो हजार सत्रह चला, छोड सभी का साथ !
हमें थमा कर हाथ में,. नये साल का हाथ !!
मेरी है प्रभु आपसे, यही एक अरदास !
नए वर्ष मे देश में,घर घर हो उल्लास ! !
जाते-जाते साल यह, करा गया अहसास !
बाबाओं पर कीजिये, . नहीं मित्र विश्वास !!
हो जाए अब तो विदा,… कलुषित भ्रष्टाचार !
यही सोचकर आ गया,जी अस टी इस बार !!
ज्यों पतझड़ के बाद ही,आता सदा बसंत !
खुशियां नूतन वर्ष में, सबको मिलें अनन्त !!
पूरा हमें यकीन है , . शासन से इस बार !
नया पिटारा हर्ष का, देगी कुछ सरकार !!
बदली है तारीख बस, …..बदले नहीं विचार !
नये साल की कर रहे, फिर भी जय-जयकार!!
जाते जाते हो गया , पिछला साल उदास !
बन जाऊंगा शीघ्र ही, बोला मैं इतिहास !!
ऱिश्ता वो जो टूटकर,हुआ अलग इस साल !
हो जाए नववर्ष मे, …..शायद पुन: बहाल !!
देना है नव वर्ष मे,……..उनको भी अंजाम !
नही मुकम्मल हो सके,,विगत वर्ष जो काम !!
दिल से अपने कह रही,बार बार आवाम !
होंगे नूतन वर्ष मे,….संसद मे कुछ काम !!
बंद करो अब बाँटना,मजहब की खैरात !
आया नूतन वर्ष है,..लेकर नवल प्रभात !!
बदलोगे खुद को अगर,…..बदलेंगे हालात !
किरणे लेकर ज्ञान की, आया नवल प्रभात ! !
आये नूतन वर्ष यह, लेकर नव उल्लास !
ऊपर वाले से यही, …है मेरी अरदास !!
चुग्गा चुगने आ गई,…….चिडियों की बारात !
आशा की लेकर किरण,आया नवल प्रभात !!
रमेश शर्मा.