दोहे -मेरे पिता
दोहे -मेरे पिता
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कंटको भरी राह पर,चलना हो आसान।
प्रेरणा पितु से लीजिये, और बढ़ाओ ज्ञान ।।
देते हमको छांव है,खुद झेले है धूप।
जीवन में बच्चों के लिये,
पिता होते अनूप ।।
मन में बस इक आस है,
सुखी रहे परिवार।
अपनी खुशियां सब भुले,
देख रहे है निहार ।।
सबके सपने पुरे कर,
जतन करे दिन रात।
पीड़ा हरते सभी की,
पिता कि है सौगात।।
पापा को मित्र बनाइये,
जो न छोड़ता हाथ ।
जब कोई विपदा पड़े,
हर पल देता साथ ।।
दिन रात मेहनत करे,
और बनाए काज।
सारा परिवार करता,
पापा पर हे नाज ।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर