दोहे:- मानसिक कुंभ स्नान फल
गंगा जमुना सरस्वती, रेवा क्षिप्रा स्नान।
कावेरी गोदावरी, सप्त सरित धर ध्यान।।१।।
हरि प्रयाग नासिक सहित, उज्जैनी कुंभ भराय।
मन ईश धरे स्नान कर,शाही कुंभ फल पाय,।।२।।
पावन पुण्य पवित्र जल, कुम्भ में आन समाय।
तन-मन निर्मल जो करे, समरस होय सुभाय।।२
पावन तीरथ सकल जल, घट स्नान समाय।
सकारात्मक ऊर्जा, रोम-रोम भर जाय।।४।।
नितप्रति उर में ध्यान धर, कर घर में स्नान।
मिले शाही स्नान फल, सत्य वचन ये जान।।५।।
✍अरविंद राजपूत ‘कल्प’