दोहे ( मजदूर दिवस )
प्रेम भाव जिसमें नहीं,शामिल है दुत्कार ।
श्रम साधक मज़दूर से, करें न वह व्यवहार ।।1।।
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सबकी अपनी योग्यता,सबके अपने काम ।
श्रम साधक मज़दूर पर, सहता कष्ट तमाम ।।2।।
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श्रम साधक मज़दूर की,कुटिया उसका धाम।
जहाँ मिटाता वह थकन,करता है विश्राम।।3।।
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श्रम साधक मज़दूर भी,वरद पुत्र भगवान ।
कर्मशील इस जगत में,करिए श्रम का मान।।4।।
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श्रम साधक मज़दूर जब,छेड़े मंगल तान।
उसके दम से देश का,संभव हो उत्थान ।।5।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय