दोहे बाल दिवस पर
ऐसा कैसा बालपन,…कैसा यह व्यवहार !
बच्चों पर चलने लगी, बच्चों की तलवार ! !
उत्तरदायी कौन है,…इसका करो विचार !
दिल मे बच्चों के अगर,उगने लगे विकार ! !
भूल गए है वाकई,…बच्चे खेल तमाम !
हाथों मे जब से लिया,मोबाइल को थाम ! !
दुनिया से तो हर समय,लड़ जाये हर बाप !
पर बच्चों के सामने,..झुक जाता है आप !!
हर बच्चे को चाहिए,… शिक्षा का आधार !
इस सपने को जल्द से, जल्द करो साकार !!
पल में ही बचपन गया, पल में हुआ जवान !
पल मे हुआ अधेड़ कब,हुआ नही ये भान !!
बचपन का उसने कभी,लिया नही फिर स्वाद !
भारी बस्ता पीठ पर..,दिया अगर जो लाद ! !
रमेश शर्मा