प्रेरणादायक
दोहे
प्रीतम कर से कर्म कर,ये जीवन आधार।
कर बिन मानो दीन हैं,मानव गज सरकार।।
प्रीतम हलुआ प्रेम का,खाते जाओ खूब।
जीवन है दिन चार का,व्यर्थ न जाए डूब।।
प्रीतम भूला भोर का,संध्या आए लौट।
माफ़ी दे दो भूल की,करो कभी मत चोट।।
प्रीतम चोरी छ़ोड़ दो,चोरी के दिन चार।
पकड़ी जाए एक दिन,होगा मन लाचार।।
प्रीतम दुनिया तेज़ है,समझो इसकी चाल।
वरना पीछे छूट कर,बन ठन-ठन गोपाल।।
प्रीतम सारे काम तुम,करना मन से मीत।
हार-हार कर रो पड़े,होगी तेरी जीत।।
प्रीतम संकट सिर्फ़ है,बंदर घुड़की यार।
आगे सीना तान बढ़,लेगी सुबकी हार।।
प्रीतम राही वो सुनो,जाता मंज़िल पार।
चाँद-सूर्य को देख लो,एक रखें रफ्तार।।
प्रीतम सबसे नेक है,शिक्षा का सोपान।
चढ़के इसपर जीत ले,सपनों का मैदान।।
प्रीतम आँधी प्रेम की,घृणा उड़ा ले जाय।
मन को करती साफ़ ये,सबके मन को भाय।।
प्रीतम जीवन योग से,सदा रहे खुशहाल।
मिलें बहारें बाग को,फूल खिलें हर डाल।।
प्रीतम आँसू आँख का,सच्चा मोती एक।
व्यर्थ बहा मत रूठ के,ख़ुश रह पल प्रत्येक।।
आर.एस. “प्रीतम”