दोहे- नशा
दोहे बिषय- “नशा”
नशा मौत का नाम है,
होता ज़हर समान।
घर का सब बिक जाय है,
धन दौलत सम्मान।।
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नशा न करना भूल के,
हो जीवन से प्यार।
जो करता कोई नशा,
जीवन हो बेकार।।
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‘राना’ नशा भीषण द्वय,
तम्बाकू व शराब।
करते बहु अंगों सहित,
मुंह, यकृत भी खराब।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
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