दोहे- दास
23-हिंदी दोहे – दास
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1
नहीं किसी के दास हम , और न पाले दास |
#राना सबसे मित्रता , सब हैं मेरे खास ||
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2
दास प्रथा ने कर दिया , #राना बेड़ा गर्क |
ईश्वर ने कब दे दिया , करने हमको फर्क ||
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3
बनना यदि अब दास है , तब पहचानो राम |
#राना सेवक हम रहें , उनके आठों याम ||
4
मानव सेवा धर्म है , बनो दीन के दास |
#राना दीनानाथ तब , होगें तेरे पास ||
5
तुलसी केशव सूर थे , लिखे नाम में दास |
#राना थे रविदास जी, सभी ईश के खास ||
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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