#दोहे – ‘दशहरा विशेष’
#दोहे-‘दशहरा विशेष’
पुतला फूँके होत क्या,फूँक बुराई आज।
तभी दशहरा मानिए,सिर अच्छाई ताज़।।
मेघ कुंभ रावण हँसे,गली-गली में शोर।
मुख देखा है राम का,मन रावण की ओर।।
नमन वचन को कीजिए,सच्चा है जो नेक।
पूजा ये धारण करो,चलो इसी की टेक।।
माँ बहनों का मान कर,यही दशहरा ज्ञान।
रिश्ते-नाते प्रेम के,मत होना अनजान।।
सदियाँ बीती मारते,मरा न रावण रूप।
जब तक मन में विष भरा,रावण लिए स्वरूप।।
#आर.एस.’प्रीतम’