Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2021 · 1 min read

दोहे तरुण के।

व्यथित हुए अपने सभी,भाता नहीं बिछोह।
रंग सभी फीके लगें, कर दूं क्या विद्रोह।।

बनी हुई निष्ठुर नियति, दया करो घनश्याम।
विनय करें कर जोड़ सब,तज दो अब विश्राम।।

रंगहीन होली हुई,फीके सब पकवान।
बरसाना सी रास हो,ऐसा दो वरदान।।

महारोग का कीजिये, मोहन अब तो अंत।
पतझड़ सम लगने लगा,खिलता हुआ बसन्त।।

मुख पर सब पहने हुए,भय से आज नकाब।
गले नहीं मिलते मनुज,करते बस आदाब।।
पंकज शर्मा”तरुण”.

Language: Hindi
1 Comment · 482 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
I want to tell them, they exist!!
I want to tell them, they exist!!
Rachana
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कचनार
कचनार
Mohan Pandey
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
कभी किसी की सुंदरता से प्रभावीत होकर खुद को उसके लिए समर्पित
Rituraj shivem verma
*रामदेव जी धन्य तुम (नौ दोहे)*
*रामदेव जी धन्य तुम (नौ दोहे)*
Ravi Prakash
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
राधेश्याम "रागी"
एक अधूरे सफ़र के
एक अधूरे सफ़र के
हिमांशु Kulshrestha
हमारे ख्यालों पर
हमारे ख्यालों पर
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
■ आज का क़तआ (मुक्तक)
■ आज का क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय*
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
Dr. Vaishali Verma
जीवन
जीवन
Santosh Shrivastava
परिंदे बिन पर के (ग़ज़ल)
परिंदे बिन पर के (ग़ज़ल)
Vijay kumar Pandey
जल बचाओ, ना बहाओ।
जल बचाओ, ना बहाओ।
Buddha Prakash
जब हम स्पष्ट जीवन जीते हैं फिर हमें लाभ हानि के परवाह किए बि
जब हम स्पष्ट जीवन जीते हैं फिर हमें लाभ हानि के परवाह किए बि
Ravikesh Jha
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
धधक रही हृदय में ज्वाला --
धधक रही हृदय में ज्वाला --
Seema Garg
थोड़ा सा आसमान ....
थोड़ा सा आसमान ....
sushil sarna
नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत
नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत
gurudeenverma198
4) धन्य है सफर
4) धन्य है सफर
पूनम झा 'प्रथमा'
सोच
सोच
Srishty Bansal
" हकीकत "
Dr. Kishan tandon kranti
* खूब खिलती है *
* खूब खिलती है *
surenderpal vaidya
4613.*पूर्णिका*
4613.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Game of the time
Game of the time
Mangilal 713
माफ़ी मांग लो या
माफ़ी मांग लो या
Sonam Puneet Dubey
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
Manoj Mahato
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*वह बिटिया थी*
*वह बिटिया थी*
Mukta Rashmi
नज़्म _ तन्हा कश्ती , तन्हा ये समन्दर है ,
नज़्म _ तन्हा कश्ती , तन्हा ये समन्दर है ,
Neelofar Khan
Loading...