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10 Feb 2024 · 1 min read

दोहे – डी के निवातिया

दोहे
****

सृष्टि ये तुमने रची, तुम जीवन आधार ।
कोटि कोटि तुम्हे नमन, हे जग पालनहार ।।

देव-दैत्य सब करम फल, तन से सब इंसान ।
जनम भए सम कोख से, शाह रंक भगवान।।

नारी जग की आन है, नारी घर की शान।
सेवक धरम बता रहे, रखना इनका मान।।

देवी लक्ष्मी शक्ति ये, सरस्वती विद्या रूप।
जिंदगी यह संवारती, बन छांव कभी धूप।।

मात सम प्रीती नहीं, पित सम पालनहार।
गुरु ईश का रूप है, जीवन तारे पार।।

***
स्वरचित: – डी के निवातिया

Language: Hindi
150 Views
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