“जया-रवि किशन” दोहे संवाद
जिस थाली में पूर्व ही, हुए अनेकों छेद
छेद नया कैसे करें, हमें जया जी खेद
अमर सिंह की मौत पर, कुछ भी किया न खेद
अमित-जया ज़ाहिर करो, कैसा था ये भेद
है सुशान्त की मौत पर, क्यों अमिताभ निशब्द
कैसे तुम नायक बड़े, बोले न एक शब्द
छोड़ जया तू बचपना, ड्रग्स सभी को खाय
कोई सगा न ड्रग्स का, रवि किशन समझाय
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