अग्रसेन जी पर दोहे
1
द्वापर युग में ही हुए , अग्रसेन अवतार
अग्रवाल का दे दिया, एक नया संसार
2
अग्रसेन साम्राज्य की , महिमा अपरम्पार
पूरे अग्र समाज में, उनकी जय जयकार
3
अग्रसेन जी ने किया,पशु बलि से इंकार
त्याग क्षत्रिय को कर लिया, वैश्य धर्म स्वीकार
4
नागराज की माधवी, आई उन्हें पसंद
परिणय बंधन में बँधे, अग्रसेन सानन्द
5
गोत्र अठारह को दिए, पुत्रों के ही नाम
उन्हें उन्होंने दे दिए, अलग अलग सब काम
6
इक रुपया इक ईंट का, अग्रसेन उदघोष
एक बराबर हो सके, जिससे सबका कोष
7
अग्रसेन के नाम पर, बसा अग्रोहा धाम
ये अग्रो के तीर्थ का ,जाना माना नाम
8
अग्रसेन के वंश हम, है गौरव की बात
अग्रवाल परिवार के, ये ही देखो तात
9
अग्रसेन का जन्मदिन, जैसे इक त्यौहार
आयोजन पूजा हवन, ये श्रद्धा के हार
10
करे अग्रोहा धाम में, कुल की देवी वास
अग्रसेन जी का यहाँ, मंदिर देखो खास
11
धूल अग्रोहा धाम की ,धर लो अपने भाल
होगा ये जीवन सफल, स्वर्णिम होगा काल
12
ऊँचे बुद्धि विवेक में, अग्रवाल है नाम
करते रहें समाज में, सदा सुधारक काम
13
जीवन के हर क्षेत्र में, करते बड़े धमाल
सेवा को तत्पर रहें, सदा ही अग्रवाल
14
मानवता का लिख दिया, एक नया अध्याय
सत्य, त्याग, सेवा ,दया , अग्रसेन का न्याय
15
अग्रसेन जी ने कहे ,करें वही सब कर्म
उन आदर्शों पर चलें, यही हमारा धर्म
16
अग्रसेन का धर्म था , सेवा हो निष्काम
उनका इस संसार में, अमर रहेगा नाम
30-04-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद