दोहें
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ़ लेना सरकार।
वर्णित है जिसमें सभी, निर्मल उर उदगार।।
अम्बर, अंबु भूतल मे, सदा आपका वास।
उर में मेरे आ बसों, मैं चरणों का दास।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ़ लेना सरकार।
वर्णित है जिसमें सभी, निर्मल उर उदगार।।
अम्बर, अंबु भूतल मे, सदा आपका वास।
उर में मेरे आ बसों, मैं चरणों का दास।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’