दोहें
अपने बस में कुछ नहीं, बँधे हुए हैं हाथ।
लागे जान निकल रही, प्रिय जब छोड़े साथ।।
तन मन अर्पित मैं किया, किया न तुमने प्यार।
बदले में मुझको दिया, तन्हाई की मार।।
साथ रहूँगी मैं सदा, कहती थी यह बात।
कहाँ गये वो दिन बता, कहाँ गयी वो रात।।
कितनी कसमें लीं सनम, निभा न पायी एक।
आशिक़ क्या कुछ और थे, मेरे सिवा अनेक।।
कहे “सतेन्द्र” तुम कभी, करना न ऐतबार।
निकल जाए जान भले, पर मत करना प्यार।।
✍️ सतेन्द्र गुप्ता
पडरौना-कुशीनगर
मो. :- 6393000233