दोहा
रंग चढैय बैरी कोरा पोथी,सूना रहैय ज गियान !
नितु अरजैय गियानि काली,पानी पानी आन !
चहुं दिस चकारी सभ करै,पैग नहि भेलै लोक ।
संग चकारी नव जयदेव पंथ,पैग कहाबै लोक ।
चुल्हा चकवा सब करैय,अमृत बरसैय ना नोर ।
सिया धिया दुनिया पूँजत,नारी भटेयै कल जोर !