दोहा
दिनांक-२९/०८/२०२१
ईश्वर, अल्ला एक बा, राम, कृष्ण सब एक।
असमंजस में जनि पड़ी, कर्म करीं बस नेक।।
कइसन ई संकोच बा, काहें आवत लाज।
राम नाम सुमिरन कइल, सुरू करीं जी आज।।
मानव के दुश्मन इहे, लज्जा अरु संकोच।
काम न कवनो छोट बा, बदलीं आपन सोच।।
प्यार अगर कइले हवऽ, जनि करिहऽ संकोच।
आवे मत दीहऽ कबो, यार ऊपर खरोच।।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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