दोहा
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जो मन में रखता नहीं, कभी छुपा कर दंभ।
सारे गम को भूल कर, करता नव आरंभ।।
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सबके दिल में गाड़ दो, खुशियों का इक खंभ।
सारा जग सुंदर लगे , ऐसा हो प्रारंभ।।
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भूले से डरना नहीं अगर कठिन शुरुआत।
डटकर तुम आगे बढ़ो, देना सबको मात।।
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– वेधा सिंह