#दोहा-
#दोहा-
🙅*दूसरा पहलू*🙅
[प्रणय प्रभात]
*”बीती ताहि बिसार मत,
ले आगे की सीख।
आगर खुले हों ज्ञान-दृग,
साफ़ रहा हो दीख।।*”
👍👍👍👍👍👍👍👍👍
#कथ्य-
मेरा यह दोहा किसी पुराने व प्रेरक दोहे की काट नहीं है।
यह दोहे के दूसरे पहलू को उजागर करने का एक संतुलित सा प्रयास भर है। मेरा मत है कि बीते हुए को भुलाने का मतलब है आगत के लिए विगत पर धूल डाल देना। जो पूरी तरह उचित नहीं है। अतीत वर्तमान को भविष्य के लिए अनेक तरह की सीख देने में सक्षम होता है।