दोहा
दोहा छंद
विषय-धनुष तोड़ने पर परशुराम का क्रोध
सभा सजी है राजसी, सिया स्वयंवर योग।
भूप गए सब हारते, करके बल उपयोग।।
गुरु की आज्ञा से चले, राम धनुष की ओर,
टुकड़े उसके कर दिए, कस प्रत्यंचा डोर।
हर्षित होते देव हैं, परशु राम है क्रुद्ध।
परसा लेकर आ गए,करने को वो युद्ध।।
देख सभा हूँकारते, सांसे चलती तेज ।
जिसने तोड़ा धनु यहाँ, सजे मरण की सेज।।
आँख क्रोध से लाल हैं, बोलें कड़वे बोल।
शिवा धनुष को तोड़ कर, बैर लिया क्यों मोल।।
शांत किया फिर राम ने, करूँ कहो सो आप।
परशु राम तब बोलते,घनुष चढ़ाओ चाप।।
चाप चढ़ाए धनुष की, परशु गए पहचान ।
विष्णु रूप में राम हैं, जग के हैं भगवान।
सीमा शर्मा ‘अंशु’