Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
गुमनाम 'बाबा'
24 Followers
Follow
Report this post
29 Aug 2024 · 1 min read
दोहा
दोहा
मुझको उसमें लग गयी, ऐसी गहरी प्रीत।
उसके अवगुण-दोष भी, लगते मुझको मीत।।
-दुष्यंत ‘बाबा’
Tag:
Quote Writer
Like
Share
68 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
जिंदगी का हिसाब क्या होगा।
सत्य कुमार प्रेमी
सुख समृद्धि शांति का,उत्तम मिले मुकाम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं विवेक शून्य हूँ
संजय कुमार संजू
"पागलपन"
Dr. Kishan tandon kranti
सब्र करते करते
Surinder blackpen
रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
रिमझिम रिमझिम बारिश में .....
sushil sarna
जिंदगी जीने के दो ही फ़ेसले हैं
Aisha mohan
नींद आज नाराज हो गई,
Vindhya Prakash Mishra
ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
Nazir Nazar
पिता का बेटी को पत्र
प्रीतम श्रावस्तवी
मेरी प्यारी सासू मां, मैं बहुत खुशनसीब हूं, जो मैंने मां के
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पिता
Swami Ganganiya
नयी उमंगें
surenderpal vaidya
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
Phool gufran
फ़ूल भी फूलों से कहते हैं।
Neeraj Agarwal
जो औरों के बारे में कुछ सोचेगा
Ajit Kumar "Karn"
उफ़ ये लम्हा चाय का ख्यालों में तुम हो सामने
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
कर्मफल भोग
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
प्रशांत सोलंकी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उपहास
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*यहॉं संसार के सब दृश्य, पल-प्रतिपल बदलते हैं ( हिंदी गजल/गी
Ravi Prakash
मंद बुद्धि
Shashi Mahajan
लब्ज़ परखने वाले अक्सर,
ओसमणी साहू 'ओश'
ज़िंदगी जीना सीख जाते हैं ,
Dr fauzia Naseem shad
" अलबेले से गाँव है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
प्रेम गीत
हरीश पटेल ' हर'
दो टांगों वाले "भेड़िए" कम थे क्या, जो चार टांगों वाले भी आ ग
*प्रणय*
छठ पूजा
Satish Srijan
बात चली है
Ashok deep
Loading...