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गुमनाम 'बाबा'
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29 Aug 2024 · 1 min read
दोहा
दोहा
मुझको उसमें लग गयी, ऐसी गहरी प्रीत।
उसके अवगुण-दोष भी, लगते मुझको मीत।।
-दुष्यंत ‘बाबा’
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