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गुमनाम 'बाबा'
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25 Aug 2024 · 1 min read
दोहा
दोहा
छल-प्रपंच से हैं भरे, दिखते मानो फूल।
कितने भोले लोग हैं, लेकर जाते भूल।।
©दुष्यंत ‘बाबा’
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