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6 Jun 2024 · 1 min read

दोहा …..

दोहा …..

अनजानी सी ज़िंदगी , अन देखी सब राह ।
आंख खुली चलते क़दम, कब होवे गुमराह ।।

✍️ नील रूहानी…6/6/2024..

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