दोहा
उल्फ़त की रुख़सार पर, अश्क लिखें तहरीर ।
दर्द भरी तन्हाइयाँ , इसकी है तासीर ।।
आँसू, आहें, हिचकियाँ, उल्फ़त के अंजाम ।
तन्हा बीते दिन यहाँ, तन्हा बीते शाम ।।
सुशील सरना / 27-12-23
उल्फ़त की रुख़सार पर, अश्क लिखें तहरीर ।
दर्द भरी तन्हाइयाँ , इसकी है तासीर ।।
आँसू, आहें, हिचकियाँ, उल्फ़त के अंजाम ।
तन्हा बीते दिन यहाँ, तन्हा बीते शाम ।।
सुशील सरना / 27-12-23