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निधि मुकेश भार्गव
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15 Jul 2018 · 1 min read
दोहा
रोज-रोज मैं देखूँ सपने, होते नहीं साकार,
नींद ऐसी सौतन है, डाले खलल हजार।।
निधि भार्गव
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
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