#दोहा
#दोहा
■ चुनावी साल का…
जब सत्ता पक्ष विपक्ष जैसे आचरण करने लगता है तो चुनावी रण या जन-जागरण का कोई अर्थ या औचित्य शेष नहीं बचता। सिवाय देश व संविधान की अस्मिता के हरण और बेबस जनता के मरण के।
■प्रणय प्रभात■
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■ चुनावी साल का…
जब सत्ता पक्ष विपक्ष जैसे आचरण करने लगता है तो चुनावी रण या जन-जागरण का कोई अर्थ या औचित्य शेष नहीं बचता। सिवाय देश व संविधान की अस्मिता के हरण और बेबस जनता के मरण के।
■प्रणय प्रभात■