रूख
नहीं कर भरोसा तो चलेगा, की रहते हैं भगवान ।
कर भरोसा इंसान पर, कराता यही जलपान ।।
पेड़ सिरा काट दिया ,पर पेड़ रहती हमेशा जान
कब समझेगा नादान मुसाफिर, है वो एक इंसान ।।
मत काटो मुझे में भी हूं एक इंसान
*****रूख******
नहीं कर भरोसा तो चलेगा, की रहते हैं भगवान ।
कर भरोसा इंसान पर, कराता यही जलपान ।।
पेड़ सिरा काट दिया ,पर पेड़ रहती हमेशा जान
कब समझेगा नादान मुसाफिर, है वो एक इंसान ।।
मत काटो मुझे में भी हूं एक इंसान
*****रूख******