दोहा सप्तक. . . . हिन्दी
दोहा सप्तक. . . . हिन्दी
हिन्दी अपने देश में, माँगे अपना मान ।
अंग्रेजी के ग्रहण से, धूमिल इसकी शान ।।
अंग्रेजी को देश में, इतना क्यों सम्मान ।
हिन्दी का अपमान तो, भारत का अपमान ।।
हिन्दी हिन्दुस्तान के, माथे का सरताज ।
हिन्दी तो है हिन्द के , जन-जन की आवाज ।।
हिन्दी से अच्छा नहीं, करना यूँ परहेज ।
अंग्रेजी के तेज को, हिन्द करे निस्तेज ।।
कण -कण में अब हिन्द के , हिन्दी गूँजे आज ।
नहीं चलेगा हिन्द में, अंग्रेजी का राज।।
विश्व पटल पर मिल रहा, हिन्दी को सम्मान ।
हिन्दी से अब विश्व में, चमका हिन्दुस्तान ।।
अंग्रेजी के मोह में, भूले सब यह बात ।
हिन्दी को देती नहीं, कोई भाषा मात ।।
सुशील सरना / 14-9-24