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12 Dec 2020 · 1 min read

दोहा मुक्तक

चाँद शरद जब चमकता , बरसे अमृत धार
प्रभू नाम की खीर से , पाये मानव सार
चन्दा सौलह कला से , जगा रहा उन्माद ,
हुलसी जाये देह यह , बुला रहा है यार

Language: Hindi
73 Likes · 464 Views
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