दोहा- बाबूजी (पिताजी)
25-बिषय:- बाबू जी (पिताजी)
1
बाबूजी घर की सदा , #राना है बुनियाद |
पहले उनका मान है , फिर कोई है बाद ||
2
बाबू जी #राना सदा , रखें खोलकर नैन |
खबर सदा अच्छी रहे , मिलता उनको चैन |
3
बाबू जी की जब छड़ी , हल्के से दे चोट |
समझो कोई काम में , आई #राना खोट ||
4
बाबू जी की बात है , #राना बजनीदार |
अनुभव के हैं देवता , सबको है उपहार ||
5
बाबू जी के सामने , हम बबुआ कहलाँय |
#राना घर आनंद है , सबको यही सुनाँय ||
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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