दोहा पंच
प्रश्न हमारे उठ रहे, मन में आज हज़ार।
होगा आखिर किस तरह, भारत का उद्धार।।
गुस्सा पीकर देखिए, होगा दूर तनाव।
ऐसे ही चल पाएगी, जीवन रूपी नाव।।
ऐसा यह संसार है, सबके ऐब गिनाय।
अपने ऊपर भी कभी, एक नज़र पड जाय।।
धोखे खाते अनगिनत, इस दुनिया में आप।
रक्खे थे क्यों पालकर, आस्तीन में सांप।।
ऐसा करना काम तुम, अपने मन को भाय।
आगे चलते ही रहो, अपने कदम बढ़ाय।।