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10 Jun 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . सागर

दोहा पंचक. . . सागर

उठते हैं जब गर्भ से, सागर के तूफान ।
मिट जाते हैं रेत में, लहरों के अरमान ।।

लहर- लहर में रेत पर, मचलें सौ अरमान ।
मौन तटों पर प्रेम की, रह जाती पहचान ।।

छलकी आँखें देख कर, सूना सागर तीर ।
किसके अश्कों ने किया, खारा सागर नीर ।।

कौन बनाता है भला, सागर तीर मकान ।
अरमानों को लीलता, इसका हर तूफान ।।

देखा पीछे पर कहाँ, जाने गए निशान ।
हर वादे को दे गया, घाव एक तूफान ।।

सुशील सरना / 10-6-24

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