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4 Jan 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . नारी

दोहा पंचक. . . नारी

नारी तेरे भाग्य में, सुख का सदा अभाव ।
जग जन्ती तू कोख से, जग ही देता घाव ।।

नारी तूने कर दिया, नर पर तन मन वार ।
बदले में तुझको मिला, दृग जल का उपहार ।।

अबला सबला हो गई, कहने की है बात ।
जाने कितने सह रही, घुट-घुट वो आघात ।।

नर से नारी माँगती, बस थोड़ा सा प्यार ।
छलता उसकी सादगी , यह छलिया संसार ।।

नारी नर का मान है, उसका है संसार ।
वो उसकी है आत्मा, वो उसका शृंगार ।।

सुशील सरना / 4-1-24

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