दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
किसके माथे पर लिखी, अंतस की हर बात ।
अक्सर देते आवरण, अभिव्यक्ति को मात ।।
समाधान हो किस तरह, आखिर भ्रम का तात ।
बिछी हुई है झूठ की, चारों ओर बिसात ।।
नित्य नई हर श्वास में, करे कामना रास ।
अन्तिम पल तक कामना, मन में करती वास ।।
सुशील सरना / 11-8-24
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