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3 Jan 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . . शीत

दोहा त्रयी. . . .

ठंड पोष की झेलना , मुश्किल है श्रीमान ।
उस पर ठंडी ओस में, थर – थर काँपे जान ।।

सूरज को भी लग रही, इस मौसम में ठण्ड ।
उस पर तेवर धुंध के, कितने हुए प्रचंड ।।

अद्भुत लगता ओस में, लिपटा हुआ उजास ।
जीवन ठिठुरा देखता, स्वर्ण रश्मि का रास ।।

सुशील सरना / 3-1-24

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