दोहा त्रयी. . . . मत कर और सवाल
दोहा त्रयी. . . . मत कर और सवाल
चलने दे यह जिंदगी, मत कर और सवाल ।
जीवन के हर मोड़ पर, बिछा झूठ का जाल ।।
मत कर और सवाल अब, तनिक नहीं है शेष ।
बदल- बदल कर जिंदगी, आती अपना भेष ।।
क्या – क्या लेकर साथ में, अपने लाता काल ।
देख जगत के दर्द को, मत कर और सवाल ।।
सुशील सरना / 23-6-24