दोहा त्रयी. . . . चित्रकार
दोहा त्रयी. . . . चित्रकार
चित्रकार से क्या छुपी, मौन चित्र की बात ।
रंगों के सैलाब में, धड़क रहे जज्बात ।।
उसकी तूलिका ने भरा , इस जग में वो रंग ।
कहीं वेदना पृष्ठ पर, चित्रित कहीं उमंग ।।
चित्रकार चित्रित करे, सुख – दुख के दो रंग ।
जीवन भर हालात से, मानव करता जंग ।।
सुशील सरना / 5-6-24