दोहा चौका .. सफर
दोहा चौका .. सफर
सफर अचानक देह का, रुका साँस के साथ ।
अन्तिम घट से पूर्व ही, जग ने छोड़ा हाथ ।।
सफर सुनहरा आपका, तब होगा साकार ।
साथ आपके आपका, जब होगा दिलदार ।।
कौन सफर का जानता, कब हो अंतिम छोर ।
कैसी इसकी साँझ हो, कैसी इसकी भोर ।
याद सफर की सम्पदा, भला व्यर्थ कब जाय ।
इसमें खोकर आदमी, स्वयं संग बतियाय ।।
सुशील सरना /24-12-24