दोहा किसान
दोहा — किसान
जो किसान उगाते है,फसल अनेक प्रकार।
भूखमरी वहीं बढ़ते,होते बहुत शिकार।।
कहाँ हो खेती पाती, किसान जहाँ रोये।
कभी जो पीटे छाती,बीज एको न होये।।
सदा ही करें किसानी,थे भारत की शान।
मानव जीव पोषत है,बढ़ा देश की मान।।
खेती पाती जो करे,होता वही किसान।
धरती की सेवा करे,धरती का भगवान।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना ,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822