दोहावली
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नाम जपे भव से तरे, और मिले प्रभु धाम।
सत्य यही स्वीकारिये, जपो राम का नाम।।
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ललना मुख तब देखिके,यशोमति भयी निहाल।
नंद नगर ऊत्सव बड़ा, जन जन है खुशहाल।।
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रब को सब हैं मानते, रब ही ज ग आधार।
सृष्टी सृजक एक वहीं, रब ही पालनहार।।
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माथ नवाये जो चले, वही सुघर इंसान।
सभ्य र्शिष्ट व नम्र वहीं, बनता वही महान।।
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छूटे तन से प्राण जो, बने पवन उड़ जाय।
ईश्वर का ही अंश था, ईश्वर में मिल जाय।।
✍️ #सचिन