दोहावली या दरदावली
दोहावली बनाम
दर्दावली
सब्जी बेचो आप या,
माँगो दर दर भीख।
राजा ऐसा देश का,
जिसकी ऐसी सीख।।
पढे लिखे पर जुल्म हो,
जालिम पर अनुराग।
प्रीतम ऐसे देश का,
भविष्य जलाए आग।।
बेटों का जहँ छिन गया,
शिक्षा का अधिकार।
प्रीतम फिर उस देश का,
होगा कत उद्धार।।
देश आपदा में घिरा,
होता किंतु चुनाव।
परलय से उस देश का,
होता नहीं बचाव।।
अपराधी को छोड़ता,
नहीं काल का व्याल।
निरपराध भी साथ मे,
मरते मृत्यु अकाल।।
दौड़ रही रण चण्डिका,
खप्पर लेकर हाथ।
वही बचेगा जो गहे,
सन्त गुरू का साथ।।
प्राइवेट शिक्षक सहे,
कबसे कष्ट अपार।
किंतु सुने सरकार नहिं,
सौ-सौ है धिक्कार।।
प्रीतम श्रावस्तवी