दोहात्रयी. . .
दोहात्रयी. . .
राहें देंगी लक्ष्य तक, राही तेरा साथ ।
पर यकीन से छोड़ना, कभी न अपना हाथ ।।
श्रम से जो मुँह मोड़ते, रहें लक्ष्य से दूर ।
रहें सफलता के सदा, खट्टे ही अंगूर।।
कब आई है श्रम बिना , चल कर मंजिल पास ।
छू लोगे अम्बर अगर, मन में है विश्वास ।।
सुशील सरना /11-11-24