दोहरे मापदंड
हम कब तक इन दोहरे मापदंडों को सहन करके जीते रहेंगें। इस कोरोना काल में जहां एक तरफ संक्रमण से बचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने का प्रचार एवं प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर चुनाव कराए जा रहे हैं। चुनावी संपर्क यात्राओं में मतदाताओं के संपर्क में आने से संक्रमण जो अब तक शहरी क्षेत्र तक सीमित था गांवों में फैलने की पूरी संभावना है। इस प्रकार संक्रमण से मतदाता , राजनीतिक कार्यकर्ता , एवं स्वयं चुनाव प्रत्याशी भी अछूता नहीं रह सकता है।
यह इस बात का द्योतक है कि हमारे राजनीतिज्ञों के लिए राजनीतिक स्वार्थ जनता के स्वास्थ्य से सर्वोपरि है । इस प्रकार जनता पर थोपी गई चुनावी प्रक्रिया उनको संक्रमण के गर्त में ढकेलने जैसी है । हमारी निरीह ग्रामीण जनता जो शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा अब तक संक्रमण के प्रभाव से बची रही है , को अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए जबरन संक्रमित करने का मूर्खतापूर्ण प्रयास ये राजनेता कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त इस चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्ष मतदान की संभावनाएं एवं मतदान का प्रतिशत कहां तक सही हो सकता है।
कुछ मतदाता संक्रमण के भय से मतदान करने जाएंगे ही नहीं, और कुछ मतदाताओं को संक्रमण भय दिखा कर वोट डालने से वंचित कर दिया जाएगा। और कुत्सित मंतव्य वाले ये राजनेता अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए अपने हित में उनके नाम से झूठे वोट डालने का प्रयास करेंगे ।
अतः इस प्रकार के चुनाव निष्पक्ष किस तरह हो सकेंगे।
इस प्रकार चुनावी तंत्र में लगे अधिकारी , कर्मचारी एवं सुरक्षाकर्मी भी संक्रमण से अछूते ना रह सकेंगे , वे स्वयं संक्रमित होंगे और साथ ही साथ अपने परिवार वालों को संक्रमित करेंगे।
अतः संक्रमण फैलाने का एक मुख्य कारण बन सकते हैं।
जब पूरा देश संक्रमण की मार झेल रहा है और लोगों का जीवन कोरोना के प्रकोप से क्षणभंगुर सा प्रतीत हो रहा है , तब इस प्रकार चुनाव कराना कहां तक एक बुद्धिमता पूर्ण निर्णय कहा जा सकता है। एक तरफ तो सरकार जनता में संक्रमण से बचने हेतु नियमों का पालन के लिए प्रचार कर रही है , तो दूसरी तरफ इस प्रकार निरीह जनता को इस प्रकार थोपे गए चुनावों के माध्यम से संक्रमित कर रही है।
सरकार इस संक्रमण काल में जनता के हितों की रक्षा करते हुए , प्रस्तावित चुनाव क्या कुछ समय के लिए नहीं टाल सकती थी ?
जो कि एक तर्कसंगत निर्णय होता।
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि राजनीतिक स्वार्थ जनता के हितों से सर्वोपरि होने के कारण हम इस दोहरे मापदंड को भोगने के लिए मजबूर हैं।