“दोहरी सोच समाज की ,
“दोहरी सोच समाज की ,
कोई ना समझ पाये ,
जिसकी कोख से जन्म लिया ,
उस पर ही उँगली उठाये ।
एक नारी सब पर भारी ,
माँ बहन पत्नी अनेक रूप निभाये ,
समझदार है वो चाहे साक्षर हो या निरक्षर,
घर चलाये ,
देश चलाये ,
दुनिया चलाये ,
चाँद पर पताका फहराये,
पर यह मूर्ख , पढ़ा लिखा समाज ,
महीमा नारी की ना समझ पाये ।”
-एक नारी सौ पर भारी
संदेश जनहित में जारी ।
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”