दोहरा चरित्र
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
वह सुबह से राष्ट्र हित के, गीत सरगम गा रहे हैं ।
जातियाँ उन्माद भारत ,धर्म पथ आतंक अब ।
राजनीतिक गोटियाँ हैं ,चुप सहज सरका रहे हैं।।
-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
वह सुबह से राष्ट्र हित के, गीत सरगम गा रहे हैं ।
जातियाँ उन्माद भारत ,धर्म पथ आतंक अब ।
राजनीतिक गोटियाँ हैं ,चुप सहज सरका रहे हैं।।
-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’