दोस्त
दोस्त (मदिरा सवैया)
दोस्त मिला प्रिय प्रेमिल है उसका हर शब्द मनोहर है।
नित्य मिला करता दिल से मधु अमृत भाव सरोवर है।
मस्त सदा रहता कहता कुछ चिंतन लेखन गायन हो।
मौज मिले हिय दोस्त खिले मनभावन ढोलक वादन हो।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।