दोस्त
दोस्त दोस्त ना रहा,
मसीहा बन गया,
खामोशी का वह दायरा,
फरिश्ता बन गया।
ना हो उदास कभी बात भी होगी,
रात हुआ है तो दिन भी होगा,
यादों को संजो लेना,
इतनी बड़ी दुनिया कभी मुलाकात तो होगी,
प्रेम की यह तरंग उस तक,
तो पहुंचती होगी इसका तो इत्मीनान रखना,
एहसास है कीमती अनमोल मोती,
शकत सीपी में बंद चमकता मोती,
दोस्त दोस्त ना रहा,
सपनों को पंख लगाकर,
उड़ने का हौसला दे गया।
रहे कहीं भी मगर दिल की हमेशा करीब है,
चुन चुन कर बक्से हैं प्रभु ने यह दोस्त मुझे,
यहां तो मैं सबसे अमीर हूं हीरे पन्ने सोनसोने के तले,
बेश कीमती है यह दोस्त मेरी तिजोरी की दौलत से कहीं आगे, बरसात में चमकता इंद्रधनुष है यह मानो,
हां जी हां यह दोस्त मेरे।