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20 Feb 2024 · 1 min read

दोस्त

तब हम
ताज़े,खूबसूरत, शोख़ और रंगीन
फूलों का गुलदस्ता हुआ करते थे।
आज बिखरे हुए हैं
कोई, किसी के गुलदान में सजा है
कोई किसी के
आओ,
हम अपने-अपने
गुलदानों से निकल आएं
और फिर से
महकते फूलों का गुलदस्ता
बन जाएं,
दोस्तों!
दोस्ती कभी मुरझाती नहीं है।

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