दोस्त
तब हम
ताज़े,खूबसूरत, शोख़ और रंगीन
फूलों का गुलदस्ता हुआ करते थे।
आज बिखरे हुए हैं
कोई, किसी के गुलदान में सजा है
कोई किसी के
आओ,
हम अपने-अपने
गुलदानों से निकल आएं
और फिर से
महकते फूलों का गुलदस्ता
बन जाएं,
दोस्तों!
दोस्ती कभी मुरझाती नहीं है।