दोस्त
#दिनांक:- 6/8/2023
#शीर्षक:-मुस्कान होंठों पर आ जाती है
जब खाली होकर मैं,
अपने सपनों में खोती हूँ,
लंगोटियों, स्कूल, कालेज के दोस्तों के, बीच होती हूँ,
बचपन की सहेलियों संग ऊधम मचाना,
आह! मन को भाता लड़ाई झगड़ा करवाना,
स्कूल के दोस्तों से कहासुनी करना ,
फिर मिलकर नये आयाम को,
पाने की पुरजोर कोशिश करना।
छूटते जा रहे पुराने दोस्त जिन्दगी में,
नये मित्रों का आगमन होना,
कच्छा बदला,
सलवार में आ गया,
छोटे आकार का दिमाग,
विस्तार में आ गया,
अब दोस्त और करीब महसूस होने लगे,
हाँ,
ओ मेरी रूह बनने लगे ,
हमारी यारी से गुलजार हुआ कालेज,
दोस्त जब साथ हो,
खुशहाली फैलती चारों ओर ।
ऐ दोस्त तू बड़ा याद आता है,
कालेज का वो सुनहरा दिन,
सचमुच बहुत सताता है,
आज सब परेशान हैं अपनी दुनिया में ,
पर जब-जब दोस्तों की याद आती है,
बेमतलब,
मुस्कान होंठों पर आ जाती है |
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है|
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई